प्रयागराज कुंभ मेळ्यात नागा साधूंचे दर्शन

| Published : Jan 07 2025, 08:10 PM IST

सार

प्रयागराज महाकुंभ २०२५ मध्ये अखाड्यांच्या छावणी प्रवेश आणि नागा संन्याशांचे दर्शन भाविकांसाठी अविस्मरणीय अनुभव. त्याग, साधना आणि आत्मसंयमाने भरलेले त्यांचे जीवन अध्यात्माची खोली अनुभवण्यास मदत करते.

महाकुंभ नगर, प्रयागराज।(Asianetnews Hindi Exclusive: प्रयागराज महाकुंभ से सूर्य प्रकाश त्रिपाठी की रिपोर्ट) संगम नगरी में महाकुंभ 2025 का आयोजन अध्यात्म, संस्कृति और आस्था का अनोखा संगम प्रस्तुत कर रहा है। देश-विदेश से श्रद्धालु इस महायोजना का हिस्सा बनने के लिए प्रयागराज पहुंच रहे हैं। इस भव्य महाकुंभ का सबसे बड़ा आकर्षण अखाड़ों का भव्य छावणी प्रवेश और नागा संन्याशियों का अनोखा अंदाज है।

ऐतिहासिक पल को देखने श्रद्धालुओं उमड़ी भीड़

सोमवार को तपोनिधि श्री आनंद अखाड़ा पंचायती का भव्य छावणी प्रवेश हुआ। इस ऐतिहासिक पल को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। अखाड़ों की शोभायात्रा ने संगम नगरी के माहौल को भक्तिमय बना दिया। झांकियों में अखाड़ों की परंपरा, साधना और धर्म का प्रदर्शन हुआ, जो हर किसी के लिए प्रेरणादायक रहा।

नागा संन्याशियों का अलौकिक रूप

अखाड़ों के छावणी प्रवेश के दौरान नागा संन्याशियों की अनोखी झलकियां श्रद्धालुओं का मुख्य आकर्षण बनीं। नागा संन्याशियों का जीवन त्याग, साधना और आत्मसंयम का प्रतीक है। उनका अलौकिक रूप और संयमित जीवनशैली, भौतिक सुख-सुविधाओं से दूर रहकर, आध्यात्मिक साधना को समर्पित है।

कोई ध्यान में लीन तो दिखा रहा अपना चमत्कार

महाकुंभ के दौरान नागा संन्यासी अपने विविध रूपों में देखे जा सकते हैं। कोई ध्यान और साधना में लीन है, तो कोई धार्मिक परंपराओं का अनुसरण करते हुए अखाड़ों की परंपराओं को जीवंत कर रहा है। इनकी अद्भुत जीवनशैली न केवल श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है, बल्कि उन्हें अध्यात्म की गहराई का अनुभव भी कराती है।

श्रद्धालुओं के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव

महाकुंभ 2025 में अखाड़ों के छावणी प्रवेश ने संगम नगरी के वातावरण को भक्तिमय बना दिया है। श्रद्धालु इस भव्य आयोजन को न केवल देख रहे हैं, बल्कि इसे अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना रहे हैं। नागा संन्याशियों के दर्शन और अखाड़ों की परंपराओं को करीब से देखना, श्रद्धालुओं के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन गया है। महाकुंभ 2025 न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का जीवंत उदाहरण भी है। अखाड़ों का प्रवेश और नागा संन्याशियों का त्यागमय जीवन, इस आयोजन की भव्यता और महत्व को और अधिक बढ़ा देता है।

 

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