Sadashiv Amrapurkar 8 Famous Dialogues : खतरनाक खलनायकांपैकी एक असलेल्या सदाशिव अमरापूरकर यांना जाऊन ११ वर्षे झाली. त्यांचे निधन ३ नोव्हेंबर २०१४ रोजी मुंबईत झाले. बॉलिवूडसोबतच मराठी चित्रपटांमध्ये काम करणाऱ्या सदाशिव यांनी पडद्यावर भय उत्पन्न केला
मेरे आदमी दौलत खाते हैं, दौलत पीते हैं, दौलत जीते हैं, दौलत सोते हैं। (चित्रपट एलान-ए-जंग १९८९ मध्ये प्रदर्शित झाला होता.)
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चित्रपट आंखें
ईमानदारी कितनी भी बेवकूफ हो... आख़िर एक दिन उसकी तरक्की जरूर होती है और बेईमानी कितनी भी चालाक हो, एक दिन उसे जेल में जरूर जाना पड़ता है। (चित्रपट आंखें १९९३ मध्ये प्रदर्शित झाला होता.)
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चित्रपट इश्क
तुमने समुंदर को ललकारा है... अब ऐसा तूफान आएगा, ऐसा सैलाब उठेगा कि तुम्हारा इश्क, जिसका जिक्र तुम्हें बहुत नाज है तिनके की तरह बह जाएगा, तबाह हो जाएगा, फना हो जाएगा। (चित्रपट इश्क १९९७ मध्ये प्रदर्शित झाला होता.)
कुर्बानी देगा कौन? - देगा कौन, देगा कौन, देगा कौन क्या... कमीने तू देगा कुर्बानी! (चित्रपट आंखें १९९३ मध्ये आला होता.)
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चित्रपट मोहरा
बकरा खुद कसाई के घर के सामने जाकर कथक करने लगा तो उसे कौन बचा सकता है? (चित्रपट मोहरा १९९४ मध्ये प्रदर्शित झाला होता.)
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चित्रपट इश्क
जब बाजी डुक्की और टिक्की से जीती जा सकती है तो उसके लिए इक्का निकालने की क्या जरूरत है। (चित्रपट इश्क १९९७ मध्ये प्रदर्शित झाला होता.)
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चित्रपट वीरू दादा
मेरे बाप ने मेरा नाम गुलानंद ऐसी ही नहीं रखा, जो लोग मेरे साथ आनंद से पेश आते हैं, उन्हें मैं गुलाब की खुशबू देता हूं और जो लोग मेरे साथ क्रोध से पेश आते हैं उन्हें मैं गुलाब के कांटों की तरह चुभने पर मजबूर हो जाता हूं। (चित्रपट वीरू दादा १९९० मध्ये आला होता.)
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चित्रपट आखिरी रास्ता
तुम क्या समझती हो कृष्ण भगवान तुम्हें बचाने आएंगे, वो महाभारत में आए थे, इस भारत में नहीं आएंगे। (चित्रपट आखिरी रास्ता १९८६ मध्ये प्रदर्शित झाला होता.)